मंगलवार, 27 दिसंबर 2016
विरक्ति
दुनिया की ठेस मोह भंग कर देती है।
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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016
शिकायत
जैसा लोग सोचते हैं हम वैसे तो नहीं
इतना खुलने की हमे जरूरत भी नहीं
खुली किताब क्यों बने उनके लिए
जिनके लिए हम कुछ भी नहीं
मन में क्यों उचाट हो उनके लिए
जिन्हे हमारे इन्सान होने की खबर ही नहीं
पत्थर है हम भी हलचल की हमें खबर ही नहीं
अपने सम्मान के लिए जीना सब चाहते हैं
एक तुम ही उस आवरण में पोशीदा तो नहीं
बुधवार, 21 दिसंबर 2016
मेरे आंगन की वंश बेल
बरस पर बरस बीत गए एक बेल को पलते आंगन में
कभी बढती कभी थोड़ा रूक कर बढती ये स्नेह बेल
कीड़ो और बिन बुलाई ऋतुओं से बचती ये अमर बेल
लम्बे अर्से से क्यों कुम्हलाई हुई है मेरी भाग्य संगिनी ये
सुबह सवेरे खिलखिलाकर हँसती थी जो आगंन मे बेल
कैसी आहट किसकी नफरत में अब जलती हो रानी बेल
कभी बढती कभी थोड़ा रूक कर बढती ये स्नेह बेल
कीड़ो और बिन बुलाई ऋतुओं से बचती ये अमर बेल
लम्बे अर्से से क्यों कुम्हलाई हुई है मेरी भाग्य संगिनी ये
सुबह सवेरे खिलखिलाकर हँसती थी जो आगंन मे बेल
कैसी आहट किसकी नफरत में अब जलती हो रानी बेल
सबको संबल देनेवाली,पीड़ा सबकी हरने वाली बेल
किसकी नज़र से तुम ढल रही हो मेरी साथी बेल
एक पौध तुम्हारी अब बढने लगी है बाबूजी की बेटी के घर
प्यार बंटा,वहां कुछ ज्यादा वक्त बिता वो लौटे कहां
घर भूले,घर का आगंन भूले और भूल गए वो रानी बेल
किसकी नज़र से तुम ढल रही हो मेरी साथी बेल
एक पौध तुम्हारी अब बढने लगी है बाबूजी की बेटी के घर
प्यार बंटा,वहां कुछ ज्यादा वक्त बिता वो लौटे कहां
घर भूले,घर का आगंन भूले और भूल गए वो रानी बेल
शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016
सब कुशल मंगल तो है !
गांव में हवा के साथ सूकून भी बहता है।
मन मस्तिष्क को फिर एक बार रवां कर लो
यहां निराशा को सूरज की गर्मी पिघला देती है
अब चाहो तो आशाओं से सुलह कर लो
बावड़ी में पानी का स्तर कम ही सही
पर प्यास बुझती है फिर भी सबकी यही
शहर में हजार चीखो का जवाब नहीं मिलता
यहां सांस की आवाज भी असर दिखाती है ।
गांव में रूह के साथ जीते है सभी
शहर में आत्मा को मारकर आगे बढ़ रहे है सभी
जिन्दा तो शहर मे सारे नज़र आते है
पर गांव में जिन्दगी नज़र आती है
गांव का घर
दुनिया की हर खूबसूरत जगह से सुन्दर है सुबह छत की मुन्डेर से होते हुए
सूरज की किरन का मेरे कमरे की खिड़की से अन्दर आना।दूर कही ईश्वर की अरदास
में बजती मंदिर की घंटिया सुबह में नयी ऊर्जा भर
देती है।पक्षियों की चहचहाहट जो अब बड़े शहरो मे सुनाई देना लगभग खत्म सी हो गयी है।मन को अन्दर तक ताजगी से भर देती है।आज भी जब शहर की भीड़ में गुम
होने लगती हूं तो मन गांव की ओर भागता है बड़ी से बड़ी परेशानी से ऊबार देने
की ताकत है मेरे गांव के घर मे, फिर क्यों हम
शहर बसाते हैं जहां कोलाहल है भागदौड़ है और सबको पीछे छोड़ शहर की सबसे ऊँची
इमारत पर घर बनाने की तमन्ना, जहां से आसमान साफ दिखाई दे भाई ये तो गांव
के घर से भी साफ दिखता था।एक घर को हटा कर बिल्डिंग बनाना कौनसी समझदारी का
काम है इससे बेहतर तो ये होता की कुछ वक्त
मैं अपनो के बीच गुजारती मेरे गांव के घर में जहां सांस की आवाज भी निकलती
तो पड़ोसी पूछते सब कुशल मंगल तो है
सोमवार, 12 दिसंबर 2016
मेरे अपने
दर्द की भाषा कौनसी होती है
क्या ये सिर्फ मेरे अपनो को समझ आयेगी
तो अपनो की पहचान क्या है
क्या अपनों पर किसी रिश्ते का टैग होता हैं
कब किस मौसम मे मिलते है ये अपने
किस गली, किस मौहल्ले मे बसते है ये अपने
ढूंढो तो मिलते नहीं
गलती से इनका घर मिल भी जाए तो
अक्सर ताले ही मिलते है वहां
क्या ये सिर्फ मेरे अपनो को समझ आयेगी
तो अपनो की पहचान क्या है
क्या अपनों पर किसी रिश्ते का टैग होता हैं
कब किस मौसम मे मिलते है ये अपने
किस गली, किस मौहल्ले मे बसते है ये अपने
ढूंढो तो मिलते नहीं
गलती से इनका घर मिल भी जाए तो
अक्सर ताले ही मिलते है वहां
होश संभालो तो
जीवन के हर मोड़ पर अनेक रिश्तो से पहचान होती है पर एक रिश्ता जिससे जीवन
मिलता है वही एक सच्चा रिश्ता होता है ।मां बच्चे के रिश्ते में कोई खोट
नहीं होती। खुशनसीब है वो जिनके पास मां होती
है। वरना प्यार क्या होता है कभी समझ नहीं पाते।लडकियों के लिए मुश्किले
कुछ ज्यादा होती है अचानक अनजान शहर, अनजान लोगो के बीच अपनी जमीन ढूँढती
है तो वो और अक्सर उम्र पूरी हो जाती है पर तलाश पूरी नहीं होती। सिर्फ
सेवा का मेवा चाहिए बहू से ससुराल वालो को बाकी उनके
अपने तो खून के ही रिश्ते है।
सुना है खून के रिश्ते बड़े मजबूत होते है पर अखबारो की सुर्खियां तो कुछ और ही कहती है थोड़े से पैसो में बिकते है प्रगाढ़ रिश्ते। जिस पर जितना ज्यादा यकीन होगा उससे उतना ज्यादा धोखे की आशंका।
फिर भी एक उम्मीद ता उम्र रखना दोस्तो कही ना कहीं रिश्तो में विश्वास अब भी जिन्दा है बस नज़र से ओझल है अभी। बादल छटने दो धूप खिलने दो फिर जो मिले उस खूबसूरत रिश्ते को संभालकर संजोकर रखना दोस्तो।
सुना है खून के रिश्ते बड़े मजबूत होते है पर अखबारो की सुर्खियां तो कुछ और ही कहती है थोड़े से पैसो में बिकते है प्रगाढ़ रिश्ते। जिस पर जितना ज्यादा यकीन होगा उससे उतना ज्यादा धोखे की आशंका।
फिर भी एक उम्मीद ता उम्र रखना दोस्तो कही ना कहीं रिश्तो में विश्वास अब भी जिन्दा है बस नज़र से ओझल है अभी। बादल छटने दो धूप खिलने दो फिर जो मिले उस खूबसूरत रिश्ते को संभालकर संजोकर रखना दोस्तो।
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