श्वेत का समर्पण श्याम को
जैसे दिन खो जाए शाम में
गोरी राधा का प्रेम श्याम से
जीत को मिले भाव हार से
सफर का आगाज़ हो मंज़िल
प्रकाश समझ मे ना आए
बिना अंधकार मे जाए
जीवन की जोत मिल जाए
आखिर प्रकाश पुंज में
यही है श्वेत का समर्पण श्याम को
जैसे दिन खो जाए शाम में
गोरी राधा का प्रेम श्याम से
जीत को मिले भाव हार से
सफर का आगाज़ हो मंज़िल
प्रकाश समझ मे ना आए
बिना अंधकार मे जाए
जीवन की जोत मिल जाए
आखिर प्रकाश पुंज में
यही है श्वेत का समर्पण श्याम को