सोमवार, 12 दिसंबर 2016

मेरे अपने

mere apne,relations,beware of false relationships
दर्द की भाषा कौनसी होती है
क्या ये सिर्फ मेरे अपनो को समझ आयेगी
तो अपनो की पहचान क्या है
क्या अपनों पर किसी रिश्ते का टैग होता हैं
कब किस मौसम मे मिलते है ये अपने
किस गली, किस मौहल्ले मे बसते है ये अपने
ढूंढो तो मिलते नहीं
गलती से इनका घर मिल भी  जाए तो
अक्सर ताले ही मिलते है वहां
होश संभालो तो जीवन के हर मोड़ पर अनेक रिश्तो से पहचान होती है  पर एक रिश्ता जिससे जीवन मिलता है  वही एक सच्चा रिश्ता होता है ।मां बच्चे के रिश्ते में कोई खोट नहीं होती। खुशनसीब है वो जिनके पास मां होती है। वरना प्यार क्या होता है कभी समझ नहीं पाते।लडकियों के लिए मुश्किले कुछ ज्यादा होती है अचानक अनजान शहर, अनजान लोगो के बीच अपनी जमीन ढूँढती है तो वो और अक्सर उम्र पूरी हो जाती है पर तलाश पूरी नहीं होती। सिर्फ सेवा का मेवा चाहिए बहू से ससुराल वालो को बाकी उनके अपने तो खून के ही रिश्ते है।
सुना है खून के रिश्ते बड़े मजबूत होते है पर अखबारो की सुर्खियां तो कुछ और ही कहती है थोड़े से पैसो में बिकते है प्रगाढ़ रिश्ते। जिस पर जितना ज्यादा यकीन होगा उससे उतना ज्यादा धोखे की आशंका।
फिर भी एक उम्मीद ता उम्र रखना दोस्तो कही ना कहीं रिश्तो में विश्वास अब भी जिन्दा है बस नज़र से ओझल है अभी। बादल छटने दो धूप खिलने दो फिर जो मिले उस खूबसूरत रिश्ते को संभालकर संजोकर रखना दोस्तो।