Pic courtesy:The Website Geographer
युद्ध सामने से लड़ने की प्रथा पुरानी हो गई
दुनिया में रीत पीठ पीछे साजिशे रचने की हो गई
हंसकर अभिवादन करना,मदद का हाथ बढ़ाना
पलटते ही व्यंग प्रहार करना,साथी को गलत राह दिखाना
नए ज़माने की कितनी सरल प्रीत बन गई
मेहनत का फल मीठा होता है परिभाषा ही बदल गई
मेहनतकश को गिरा कर रास्ता बनाना कालजई तकनीक बन गई
मैं से शुरू होकर जो रास्ते हम बन जाते थे
उन रास्तो के रोड़े बन गए झूठे अहम् के पत्थर
कभी सम्मान की खातिर जान देते थे जो सज्जन
ईमान से बढ़कर उनका ओहदा हो गया है
सबक क्या दोगे नयी पीढ़ी को
वहाँ भी सफलता का मतलब महत्वाकांक्षाओ को पाना है
फर्क किसको पड़ता है मेहनत के फल की मिठास से
हमें तो चाहिए बढ़ते जीरो ज़िन्दगी से बड़े सेविंग अकाउंट में
अपनी बात का बिना बात वजन बढ़ाना
जीवन मूल्यों की लाश पर अपने मैं का घर बनाना
अगर यही दोगे तुम समाज को
सूद समेत किश्तों में सहोगे बदलते मूल्यों का हिसाब
समय है ठहर जाओ सोचो कहाँ गलत हो तुम
वक्त निकलने पर लकीर पीटने से बच जाओ तुम
युद्ध सामने से लड़ने की प्रथा पुरानी हो गई
दुनिया में रीत पीठ पीछे साजिशे रचने की हो गई
हंसकर अभिवादन करना,मदद का हाथ बढ़ाना
पलटते ही व्यंग प्रहार करना,साथी को गलत राह दिखाना
नए ज़माने की कितनी सरल प्रीत बन गई
मेहनत का फल मीठा होता है परिभाषा ही बदल गई
मेहनतकश को गिरा कर रास्ता बनाना कालजई तकनीक बन गई
मैं से शुरू होकर जो रास्ते हम बन जाते थे
उन रास्तो के रोड़े बन गए झूठे अहम् के पत्थर
कभी सम्मान की खातिर जान देते थे जो सज्जन
ईमान से बढ़कर उनका ओहदा हो गया है
सबक क्या दोगे नयी पीढ़ी को
वहाँ भी सफलता का मतलब महत्वाकांक्षाओ को पाना है
फर्क किसको पड़ता है मेहनत के फल की मिठास से
हमें तो चाहिए बढ़ते जीरो ज़िन्दगी से बड़े सेविंग अकाउंट में
अपनी बात का बिना बात वजन बढ़ाना
जीवन मूल्यों की लाश पर अपने मैं का घर बनाना
अगर यही दोगे तुम समाज को
सूद समेत किश्तों में सहोगे बदलते मूल्यों का हिसाब
समय है ठहर जाओ सोचो कहाँ गलत हो तुम
वक्त निकलने पर लकीर पीटने से बच जाओ तुम