बुधवार, 25 मार्च 2009

बढ़ते कदम

बढ़ते कदमो को अगर मिल जाए सही रास्ता सही मंजिल और थोडी रौशनी तो कौन कहता है ज़मीन पर स्वर्ग बन सकता नही
देश के युवाओ मैं ज़ज्बा वो चाहिए जिसमे कदमो के आगे बढ़ने की आग हो बड़े बुजुर्गो का अनुभव हो तो किस वीराने को गुलज़ार किया जा सकता नही
निराशा को बढ़ते कदमो ने हमेशा पीछे छोडा है ..मंजिलो पर सदा बढ़ते कदमो की सफलता ने परचम सजाया है
याद रहे
कदम बढ़ाना है मंजिल को पाना है

मेरा चुनाव

मेरे वजूद की तलाश की शुरुआत का पहला पड़ाव यानि पहला पन्ना है मेरा चुनाव ..हर तरफ़ लहर है.. गर्मजोशी है.. और बात.. कि कौन सभालेगा देश की बागडोर किस पर विश्वास किया जाए.. कौन हकदार है ..कौन योग्य है जिसे अपना मत दिया जाए
एक एक मत चुनाव करता है सही उमीदवार ..तों क्यो व्यर्थ इसे बर्बाद किया जाए ..ज़रूरत है सही दृष्टी की ..ज्ञान की.. आईये मतदान से पूर्व हम पूरी तरह आश्वस्त हो जाए की जिसे हम चुन रहे है वह उस योग्य है या नही..वह समाज और देश के हित मैं है या नही॥
इसलिए
सुनिए सबकी और चुनिए मन की

वजूद

मैं कौन हूँ क्या हूँ जब जब मैं यह सोचती हूँ मुझे चलता फिरता एक अख्स नज़र आता है जिसकी भीड़ मैं कोई पहचान नही बन पाई है ...कोशिश है इस भीड़ मैं ख़ुद को तलाश करने की अपने वजूद को पाने की उसको सजाने की उसको सवारने की
वजूद मेरा तभी है जब मैं ख़ुद को समाज से जोड़ पाऊ और यही नही अपनी किसी एक अच्छाई से समाज को कोई दिशा दे पाऊ..इस दिशा मे बढ़ने के लिए समाज मैं नया गढ़ने के लिए अपनी आवाज़ से अपने वजूद को तरासतीऔर तलाशती रहूंगी॥
मेरे वजूद को बरक़रार रखने के लिए आपके साथ आपकी सलाह की हर वक्त ज़रूरत होगी ॥

मेरा साथ दे मेरे साथ चले