शनिवार, 15 अक्टूबर 2016

एक रोटी और बच्चे दो

एक दुखियारी माँ की सुनो
 ये विपदा भारी
रोटी देखकर रोती जाये ..
रोते रोते कहती जाये
एक रोटी और बच्चे दो
कौन रहेगा भूखा आज
 किसे मिलेगी ऱोटी आज
माँ बोली सुन लाडली मेरी
भैया को दे  तोहफा आज
बेटी भूख से तड़पी तो
माँ बोली सुन कहानी रानी
कल जब होगी किसी की शादी
तुझे मिलेगी पूरी भाजी
सपने में दावत भी देखी
लेकिन सुबह तक आस भी टूटी
माँ की लाडली रूठ गयी
प्राण पखेरू छोड़ गयी
आखिर जीती कैसे वो
जिस माँ की पीड़ा ये हो
एक ऱोटी और बच्चे दो