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एक देश दो तस्वीरें
कही आज़ादी, कही बेड़ियाँ
एक देश मेरा, एक गांव मेरा
कहीं बहता पानी,कहीं दलदल की वही पुरानी कहानी
सिर गर्व से उठता है जब आकाश फ़तह हो जाता है
फिर नीम्बू मिर्ची के ज़ख्मो से मन आहत हो जाता है
एक कदम बढाकर थमना ना जाने
दूजा रूढ़िवादिता के भंवर से निकलना ना चाहे
कहीं विकास की निशानियां, कहीं पतन की कहानियाँ
जग कहे एक नयी उम्मीद है भारत
हम कहे सोचो कैसे एक हो भारत
अधिकार सशक्त, कर्तव्य निशब्द
बेजोड़ सभ्यता संस्कृति की यहाँ असीम निशानियां
एक देश दो तस्वीरें
कही आज़ादी,कही बेड़ियाँ