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अगर मैं भी तुम सी हो जाऊ
तो मेरा मुझ में क्या रहा
असर बात का सिर्फ मुलाकात तक रहे
सिमट जाये मेरी शख्सियत तुम में
तो मेरा मुझ में क्या रहा
तेज हवा,आंधी से उखड कर
बस जाऊ कही और
तो मेरा मुझमे क्या रहा
बह जाऊ तेरी बातो के दरिया में
डूब जाऊं तेरे सपनो की दुनिया में
तो मेरा मुझ में क्या रहा
तेरी सोच को बना लू अपनी सोच
दुनिया में कमा लू रत्ती भर नाम
तो मेरा मुझमे क्या रहा
पंख अपने काट दूँ
छोड़ दूँ सारा खुला आसमान
बैठ जाऊ लेकर तेरी ख्वाहिशो का पुलिंदा
तो मेरा मुझ में क्या रहा
तू कहे हाँ तो मैं कहूँ हाँ
तू कहे बैठ और मैं बैठ जाऊं
तो मेरा मुझ में क्या रहा
हर कदम पर साथ चल देना
खुद को तुम में रंग देना
अगर यही किस्मत बना लूँ मैं
तो मेरा मुझ में क्या रहा
इंसान साथ रहे
सोच जुदा हो तो क्या
दिल में प्यार रहे सम्मान रहे
विचार अलग हो तो क्या
अगर में भी तुम सी हो जाऊं
तो मेरा मुझ में रहेगा क्या