ना शब्द बांध सकते है मेरे अहसास की ताकत
ना साँझ रोक सकी मेरी मंज़िलो की सड़क
ना मुश्किलें जान सकी मेरे इरादों की ताकत
ना सुबह ले सकी मेरी ताज़गी की महक
ना वस्त्र ढक सके मेरी खूबसूरती की झलक
ना अम्बर समझ सका मेरी ऊंचाई का महत्व
ना सागर की गहराई समझ पाई मेरे मन की गहराई
ना मेरी राख ही समझा पाई मेरे अपनों को मेरा अस्तित्व
एक धरती का सहारा है जिसने औरत के अस्तित्व को खुद से संवारा है
सहती है बहती है न कहती है बस अपने हर गुण से मेरी कहानी कहती है