Pic Courtesy:Fine Art America
सोमवार, 14 अगस्त 2017
शुक्रवार, 11 अगस्त 2017
मौन सत्य
Pic Courtesy:VirtuaGYM
कहीं कुछ बह रहा है
बिन आवाज़
कहीं कुछ जल रहा है
बिन गंध
कहीं मेघ बरस रहे है
बिन सावन
कहीं कोई बहक रहा है
बिन वजह
कहीं कोई गिर रहा है
बिन वजह
कहीं रात ढल रही है
बिन चाँद
कहीं साज बज रहे है
बिन बात
कहीं बात बढ़ रही है
बिन बात
हालात बदल रहे है
बिन बात
इंसान जल रहे है
क्यों बिन बात
कैसे पाऊं वो नज़र
जो समझे इस मौन सत्य का राज़
बुधवार, 2 अगस्त 2017
दो भारत
Pic Courtesy :Firkee.in
एक देश दो तस्वीरें
कही आज़ादी, कही बेड़ियाँ
एक देश मेरा, एक गांव मेरा
कहीं बहता पानी,कहीं दलदल की वही पुरानी कहानी
सिर गर्व से उठता है जब आकाश फ़तह हो जाता है
फिर नीम्बू मिर्ची के ज़ख्मो से मन आहत हो जाता है
एक कदम बढाकर थमना ना जाने
दूजा रूढ़िवादिता के भंवर से निकलना ना चाहे
कहीं विकास की निशानियां, कहीं पतन की कहानियाँ
जग कहे एक नयी उम्मीद है भारत
हम कहे सोचो कैसे एक हो भारत
अधिकार सशक्त, कर्तव्य निशब्द
बेजोड़ सभ्यता संस्कृति की यहाँ असीम निशानियां
एक देश दो तस्वीरें
कही आज़ादी,कही बेड़ियाँ
मंगलवार, 1 अगस्त 2017
डूबता सूरज जागते अरमान
Pic Courtesy:Red Sky Sea Beach
हम लेकर बैठे जहाँ सपनो का संसार
वो समंदर किनारा,जहाँ मिटटी का घर
रोष मिटते रहे,ख्वाहिशे पलने लगी
लहरों के हिलोरों में साँझ प्रेम गीत लिखती रही
आँखों में नवीन एक जगत रचती रही
बीती हुई रतिया को मीठे जल से धोती रही
एक ज़िन्दगी बहकती रही,एक ज़िन्दगी महकती रही
चाँद आकाश पर आकर ठहर गया था वहां
नीचे उसे छूने को कसमो की झड़ी थी लगी
रात चांदनी थी मगर स्वप्न रोशन ना हुए
सपनो में शायद उम्मीद की किरन ही ना थी
हसरते दफ़न हुई सागर की अथाह गहराई में
एक कहानी फिर मिट गयी, रह गई साँझ तन्हाई में
सदस्यता लें
संदेश (Atom)