Pic Courtesy:VirtuaGYM
कहीं कुछ बह रहा है
बिन आवाज़
कहीं कुछ जल रहा है
बिन गंध
कहीं मेघ बरस रहे है
बिन सावन
कहीं कोई बहक रहा है
बिन वजह
कहीं कोई गिर रहा है
बिन वजह
कहीं रात ढल रही है
बिन चाँद
कहीं साज बज रहे है
बिन बात
कहीं बात बढ़ रही है
बिन बात
हालात बदल रहे है
बिन बात
इंसान जल रहे है
क्यों बिन बात
कैसे पाऊं वो नज़र
जो समझे इस मौन सत्य का राज़
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