Pic Courtesy:Red Sky Sea Beach
हम लेकर बैठे जहाँ सपनो का संसार
वो समंदर किनारा,जहाँ मिटटी का घर
रोष मिटते रहे,ख्वाहिशे पलने लगी
लहरों के हिलोरों में साँझ प्रेम गीत लिखती रही
आँखों में नवीन एक जगत रचती रही
बीती हुई रतिया को मीठे जल से धोती रही
एक ज़िन्दगी बहकती रही,एक ज़िन्दगी महकती रही
चाँद आकाश पर आकर ठहर गया था वहां
नीचे उसे छूने को कसमो की झड़ी थी लगी
रात चांदनी थी मगर स्वप्न रोशन ना हुए
सपनो में शायद उम्मीद की किरन ही ना थी
हसरते दफ़न हुई सागर की अथाह गहराई में
एक कहानी फिर मिट गयी, रह गई साँझ तन्हाई में
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