Pic Courtesy: Suncity Jodhpur
तिनका तिनका जमा किया
क्यों हमने किराये के घोसले में
कुछ वक्त खुशी में बीत गया
एक दिन आंधी का झोंका आया
घर में बसा हर एक सामान धूल हुआ
कुछ यहाँ था, कुछ कहाँ था
अब इसका हमें कहाँ पता था
जीवन के कुछ अनमोल पल रूठे से महसूस हुए
रसोई से उठती भीनी खुशबू
जो घर को बांधे रखती थी
वहां अब सिर्फ ख़्वाहिशें शेष बची थी
आँगन की दीवारों पर चित्रों की अपनी बस्ती थी
मुन्ना की आँखों में बस्ती से दूरी का रोष भी था
यूँ तो घर शहर से दूर ही था
फिर भी उसमे समाया सपनो का संसार तो था
मालिक मकान के उलाहने ख़त्म हुए
हम अब घर से बेघर हुए
जान लिया घर हो तो अपना
सपनो पर किसी और का हक़ क्यों हो
खुलकर जीना शर्त है मेरी
किराये के घर में गुजारा क्यों अब भी दुविधा है मेरी
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंThank you for the appreciation.
हटाएंRegards
Good one
जवाब देंहटाएंThank you for the feed back
हटाएंRegards
बहुत अच्छा लिखा है आपने कमोबेश अपनी भी यही स्थिति है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ब्लॉग पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए ...आगे भी आपसे सहयोग मार्गदर्शन की अपेक्षा है
हटाएंI would like to purchase my own house small but own
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