Courtesy: Patheos.com
ये कैसा शोर है
मौन है पर
अंतर्नाद सुनाई देता है
चेहरा भावविहीन है
दर्द फिर भी दरकता है
शब्दों पर विराम है
कागज़ फिर भी व्यथा कहता है
व्यक्तित्व मज़बूत है जितना
मोम ह्रदय बह रहा है उतना
जीवन में संयम बरता जितना
मौत पर हंगामा बरपा उतना
बेजान शरीर निढाल पड़ा है
सजीव लाशे आस पास मंडरा रही है
सिर्फ एक प्रश्न सामने खड़ा है
आज अग्नि समर्पण किसका है ?
ये कैसा शोर है
मौन है पर
अंतर्नाद सुनाई देता है
चेहरा भावविहीन है
दर्द फिर भी दरकता है
शब्दों पर विराम है
कागज़ फिर भी व्यथा कहता है
व्यक्तित्व मज़बूत है जितना
मोम ह्रदय बह रहा है उतना
जीवन में संयम बरता जितना
मौत पर हंगामा बरपा उतना
बेजान शरीर निढाल पड़ा है
सजीव लाशे आस पास मंडरा रही है
सिर्फ एक प्रश्न सामने खड़ा है
आज अग्नि समर्पण किसका है ?
Rजीवन में संयम बरता जितना
जवाब देंहटाएंमौत पर हंगामा बरपा उतना
Amazing lines
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ मैं
Seems you didnt like it
हटाएंउत्तम
जवाब देंहटाएंबहुत गहराई है आपके लेखन में...मैनें भी एक कविता लिखी है आपको भेजूंगा और आपकी टिप्पणी चाहूंगा।
जवाब देंहटाएंMost welcome sir..
हटाएंRegards
आज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला
जवाब देंहटाएंख़ुशी हुई.
Thank you hope i am clear in my writing
हटाएंRegards