जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे
नैन थके पर वो ना दिखे
दीप जलाये, गीत सुनाये
हर पथ पर एक आस जगाये
सागर से मोती चुन लाए
अम्बर से तारे चुन लाए
फिर भी क्यों ना मेरे राम मिले
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे
मंदिर छाने महल भी छाने
वन उपवन और ताल भी छाने
मन मंदिर में लगा के ताले
ढूंढ रही मैं राम को
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे
उजियारे की किरण दिखी
अंधकार में ज्योत जगी
जिनको ढूंढा घर घर में
राम तो मेरे मन में बसे
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे
जहाँ राम बसे वहाँ छल ना बसे
निर्मल मन में अमिट छवि बसे
छोड़ दिए सारे लोभ और मोह
पहचान लिया मैंने राम को
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे
साथॆक प्रस्तुतिकरण......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....
शुक्रिया आपंको पोस्ट पसंद आई..आशा है इन पर आपके विचार आगे भी जानने को मिलेंगे
हटाएंTrue heart is the house of Lord Rama...Your blog is superb and i loved all the writings
जवाब देंहटाएंJai shri Ram...राम एक सोच है संस्कार है सिर्फ धर्म के नज़रिये से ही चीज़े क्यों देखी जाये
जवाब देंहटाएंsach hai bhagwan man mein baste hai hai aur hum unko bus wahi nahi dhundhate
जवाब देंहटाएंMy lord Rama is my power
जवाब देंहटाएंRAM base mere antas mein..devotional teaching
जवाब देंहटाएंKya bat hai ram angar man hai to khoj yaha waha kyo
जवाब देंहटाएंLord Rama our path pradarshak
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