शनिवार, 11 नवंबर 2017

ज़हरीला इंसान और लोक कथाएं










Pic Courtesy: स्त्री काल 
ज़हर खुद उगलते है 
इल्ज़ाम हम पर लगाते है 

ज़िक्र कहानियो का करते है 
दास्ताँ अपनी सुनाते है  

रुसवा सरे राह करके बार बार 
हमसे प्यार का इज़हार चाहते है 

बदल गए ज़माने के रंग मगर 
बेरहम औरत की तकदीर निकली 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें