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बदल रही है हवाएं युग धर्म की
सपनों की हत्या हुई बहती धारा में
निकले थे हुंकार भरकर
रम गए झंडू बाम बनकर
पथ भ्रमित हुए कुछ हमसायों की बात पर
इतिहास गवाह है
स्वागत लौटने वाले का होता नहीं
आगाज़ किया था जिस परिवर्तन का
उससे मुँह फेर लिया सत्तासीन होकर
जनता साथ चल रही थी आशान्वित होकर
दग़ा खा लौट आई
एक बूढ़े की लाठी तोड़ आई
क्रांति के बीज से बौना वृक्ष पैदा हुआ
ज्वाला समिधा की उठी थी जहाँ
वहीं एक बड़ा स्वप्न भस्म हुआ
एक छोटा निजी स्वार्थ एक बार फिर विजयी हुआ
बदल रही है हवाएं युग धर्म की
सपनों की हत्या हुई बहती धारा में
निकले थे हुंकार भरकर
रम गए झंडू बाम बनकर
पथ भ्रमित हुए कुछ हमसायों की बात पर
इतिहास गवाह है
स्वागत लौटने वाले का होता नहीं
आगाज़ किया था जिस परिवर्तन का
उससे मुँह फेर लिया सत्तासीन होकर
जनता साथ चल रही थी आशान्वित होकर
दग़ा खा लौट आई
एक बूढ़े की लाठी तोड़ आई
क्रांति के बीज से बौना वृक्ष पैदा हुआ
ज्वाला समिधा की उठी थी जहाँ
वहीं एक बड़ा स्वप्न भस्म हुआ
एक छोटा निजी स्वार्थ एक बार फिर विजयी हुआ