Pic Courtsey:Huffingtonpost.com
शब्दों की ताकत गुम होने लगी
मेरी व्यथा का रंग गाढ़ा और हुआ
कलम रुकने का अहसास मुझे से पहले
शब्दों की गुम होती वर्णमाला को हुआ
पीर बड़ी हो गयी कलम से
शब्द राह भूल गए तभी से
कासे कहु पीर नीर भरी अखियन की
जो सहू कुछ कहु कुछ बहूँ
अविरल व्यथा फिर भी कह ना सकू
बहाव कितना भी तेज क्यों ना हो
आवाज़ दबी सी रहती है
छपाक से कुछ गिरा कलम से
दर्द टपकने का आभास कम हुआ तभी से
एक सहेली कलम है मेरी
बिना इज़ाज़त लिखती भी नहीं
सहने का इरादा मेरा है
मुझसे अलग तब भी होती ही नहीं
शब्दों की ताकत गुम होने लगी
मेरी व्यथा का रंग गाढ़ा और हुआ
कलम रुकने का अहसास मुझे से पहले
शब्दों की गुम होती वर्णमाला को हुआ
पीर बड़ी हो गयी कलम से
शब्द राह भूल गए तभी से
कासे कहु पीर नीर भरी अखियन की
जो सहू कुछ कहु कुछ बहूँ
अविरल व्यथा फिर भी कह ना सकू
बहाव कितना भी तेज क्यों ना हो
आवाज़ दबी सी रहती है
छपाक से कुछ गिरा कलम से
दर्द टपकने का आभास कम हुआ तभी से
एक सहेली कलम है मेरी
बिना इज़ाज़त लिखती भी नहीं
सहने का इरादा मेरा है
मुझसे अलग तब भी होती ही नहीं