सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

"मैं"

"मैं" का जगत बहुत ही छोटा
अक्षर ज्ञान जितना भी हो
इंसान असफल ही होता है
"मैं" की शक्ति कितनी भी हो
"मैं"  की भक्ति कितनी भी हो
इंसान अकेला होता है
"मैं"  ने मारा रावण को
पर मैंने नही मारा मन के "मैं"  को
अब पल पल मैं ही मरता हूं
भीड़ भरे मेले मे मैं बस खुद से बातें करता हूं