मंगलवार, 21 नवंबर 2017

इश्क़ के रंग

Courtesy :Picsabay

इश्क़ के न पूछ रंग कितने सारे है 
बेरंग सी दुनिया में इंद्रधुष की मानिंद 

आँखे झील सी, शहर गुलाबी नज़र आते है 
श्वेत सी चादर पर कमल नए खिल जातें है 

ज़िन्दगी में एक नयी महक का अहसास होता है 
बिन वजह होठो पर मुस्कान ठहर जाती है 

पांव ज़मीन पर नहीं रहते 
सपनो को पंख लग जातें है 

मत पूछो हाल  इश्क़ यारो 
तबियत इश्क़ में 
कभी बेहतर,कभी रूठी नज़र आती है