बुधवार, 19 जुलाई 2017

घर

Mera Ghar,Rented houses,

Pic Courtesy: Suncity Jodhpur
तिनका तिनका जमा किया 
क्यों हमने किराये के घोसले में 
कुछ वक्त खुशी में बीत गया 
एक दिन आंधी का झोंका आया 
घर में बसा हर एक सामान धूल हुआ 
कुछ यहाँ था, कुछ कहाँ था 
अब इसका हमें कहाँ पता था 
जीवन के कुछ अनमोल पल रूठे से महसूस हुए 
रसोई से उठती भीनी खुशबू 
जो घर को बांधे रखती थी 
वहां अब सिर्फ ख़्वाहिशें शेष बची थी 
आँगन की दीवारों पर चित्रों की अपनी बस्ती थी
मुन्ना की आँखों में बस्ती से दूरी का रोष भी था
यूँ तो घर शहर से दूर ही था 
फिर भी उसमे समाया सपनो का संसार तो था 
मालिक मकान के उलाहने ख़त्म हुए 
हम अब घर से बेघर हुए 
जान लिया घर हो तो अपना
सपनो पर किसी और का हक़ क्यों हो 
खुलकर जीना शर्त है मेरी 
किराये के घर में गुजारा क्यों अब भी दुविधा है मेरी 

सोमवार, 17 जुलाई 2017

अंतर्नाद

antaraatma ki aawaz,Voice of heart
Courtesy: Patheos.com
ये कैसा शोर है 
मौन है पर 
अंतर्नाद सुनाई देता है 
चेहरा भावविहीन है 
दर्द फिर भी दरकता है 
शब्दों पर विराम है 
कागज़ फिर भी व्यथा कहता है 
व्यक्तित्व मज़बूत है जितना
मोम ह्रदय बह रहा है उतना
जीवन में संयम बरता जितना 
मौत पर हंगामा बरपा उतना 
बेजान शरीर निढाल पड़ा है 
सजीव लाशे आस पास मंडरा रही है 
सिर्फ एक प्रश्न सामने खड़ा है 
आज अग्नि समर्पण किसका है ?

सोमवार, 10 जुलाई 2017

तिमिर तेरा शुक्रिया


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Pic Courtsey-MikkoLagerstedt
मैं तम से न डरी तो तिमिर ने आ घेरा 
ये कदम फिर भी बढ़ते गए 
मुश्किलों से टकराते हुए हौंसले बढ़ते रहे 

रुक कर संभाला जिन परिस्थितियों को 
वही से कुछ अमिट घाव फिर मिले
दर्द और तिमिर का आवरण जकड़े मुझे
उससे पहले रौशनी के च्रिराग जलाये मैंने 

तमस के स्नेही जग को नमन मेरा 
जिसने लौ जगाने का मौका दिया 
जगमगाते बीहड़ से निकलकर करूँ 
एक नयी सुबह का शुक्रिया 

तमस की हर घडी को सलाम मेरा 
तप कर निखरने का मौका दिया 
अस्तित्व मेरा तमस के कारण है 
भोर की पहली किरन 
तू अभिवादन स्वीकार कर मेरा