सोमवार, 17 जुलाई 2017

अंतर्नाद

antaraatma ki aawaz,Voice of heart
Courtesy: Patheos.com
ये कैसा शोर है 
मौन है पर 
अंतर्नाद सुनाई देता है 
चेहरा भावविहीन है 
दर्द फिर भी दरकता है 
शब्दों पर विराम है 
कागज़ फिर भी व्यथा कहता है 
व्यक्तित्व मज़बूत है जितना
मोम ह्रदय बह रहा है उतना
जीवन में संयम बरता जितना 
मौत पर हंगामा बरपा उतना 
बेजान शरीर निढाल पड़ा है 
सजीव लाशे आस पास मंडरा रही है 
सिर्फ एक प्रश्न सामने खड़ा है 
आज अग्नि समर्पण किसका है ?