गुरुवार, 2 नवंबर 2017

आज़ादी -New Woman

New Woman
Courtesy: The happy world.com
कुछ गफलत में ज़माना है
मौन तोड़ उसे बताना है
किस्मत बुलंद है मेरी
बारी है पत्थरो के पिघलने की
सहनशक्ति ताकत है मेरी
सहना मेरी मज़बूरी नहीं

हार जीत में बदल दूंगी
इरादे नेक है,रास्ते अनेक है
सफर किया तेरे साथ जितना
सफर तय कर सकती हूँ
सपनो की मंज़िल का
सहनशक्ति ताकत है मेरी
सहना मेरी मज़बूरी नहीं

संस्कार की बलिवेदी तुझे प्रणाम
बांधने लगी जब ज़ंज़ीरे
जकड़ने लगी जब तकदीरे
उन्मुक्त गगन से पता पूछा
एक नयी मंज़िल का
बांहे पसार तैयार हूँ उड़ने को
सहनशक्ति ताकत है मेरी
सहना मेरी मज़बूरी नहीं