मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

श्वेत का समर्पण श्याम को

श्वेत का समर्पण श्याम को
जैसे दिन खो जाए शाम में 

 गोरी राधा का प्रेम श्याम से

जीत को मिले भाव हार से
सफर
का आगाज़ हो मंज़िल

प्रकाश समझ मे ना आए 
बिना अंधकार मे जाए
जीवन की जोत मिल जाए 

आखिर प्रकाश पुंज में

यही है श्वेत का समर्पण श्याम को