बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

माई ओन स्पेस

My Own Space










एक प्रश्न सब पूछते है खुद से 
रिश्तो के भंवर मे घिर कर 
बोलो क्या ढूँढ रहे हो घर मे यहाँ वहाँ
हर वक्त क्यों लगता है कुछ खो गया है कहीँ

एक ज़ंज़ीर का अहसास जब भी होता है 
द्वंद अंतर्मन मे तब चलता है
मेरा भी कुछ था जो खो गया है सरेराह 

कुछ ऐसा जिसने एक अजीब खालीपन से भर दिया है मुझे 
क्यों सहेज कर ना रख सकी उस जगह को जो मेरी अपनी थी 
कोई कहता है ये अतिक्रमण है, कोई त्याग तो कोई बंदिश 

होश आये इससे पहले लुट जाती है बस्ती 
अधिकार सिमट जाते है कर्तव्य बढ़ जाते है 
कुछ समझ आए इससे पहले सपनों के महल बिखर जाते है 

वक्त रहते दिख जाये कश्ती का सुराख़ तो अच्छा है 
डूबने के बाद जाने वाले को पुकारने से अच्छा है 
ज़िन्दगी के सफर में जगह दी है जिनको 
वो ज़िन्दगी में तुम्हे वो जगह दे तो अच्छा है 

जीवन मे कुछ वक्त चाहिए जो सिर्फ अपना हो 
सपनो का हमारे भी तो कहीँ कुछ वजन हो 
खीझ क्यों महसूस हो जीवन मे
घुटन क्यों सहें जीने मे

ये जो थोड़ा सा मेरा अपना वक्त होगा 
ख़ुशी की उसमें हर ख़ुशी से बढ़कर खनक होगी 
निराशा से लड़ने की ताकत मिलेगी
अंधेरे से लड़ने की हिम्मत मिलेगी 

युवा हो वृद्ध हो या वयोवृद्ध 
ये कुछ क्षण सबके अपने होते है
इन लम्हो को आप ख़ुशी का टॉनिक कह सकते है 
हम तो कहेंगे  ज़िन्दगी का "माई ओन स्पेस"