मंगलवार, 21 नवंबर 2017

इश्क़ के रंग

Courtesy :Picsabay

इश्क़ के न पूछ रंग कितने सारे है 
बेरंग सी दुनिया में इंद्रधुष की मानिंद 

आँखे झील सी, शहर गुलाबी नज़र आते है 
श्वेत सी चादर पर कमल नए खिल जातें है 

ज़िन्दगी में एक नयी महक का अहसास होता है 
बिन वजह होठो पर मुस्कान ठहर जाती है 

पांव ज़मीन पर नहीं रहते 
सपनो को पंख लग जातें है 

मत पूछो हाल  इश्क़ यारो 
तबियत इश्क़ में 
कभी बेहतर,कभी रूठी नज़र आती है 

शनिवार, 11 नवंबर 2017

ज़हरीला इंसान और लोक कथाएं










Pic Courtesy: स्त्री काल 
ज़हर खुद उगलते है 
इल्ज़ाम हम पर लगाते है 

ज़िक्र कहानियो का करते है 
दास्ताँ अपनी सुनाते है  

रुसवा सरे राह करके बार बार 
हमसे प्यार का इज़हार चाहते है 

बदल गए ज़माने के रंग मगर 
बेरहम औरत की तकदीर निकली 


गुरुवार, 2 नवंबर 2017

आज़ादी -New Woman

New Woman
Courtesy: The happy world.com
कुछ गफलत में ज़माना है
मौन तोड़ उसे बताना है
किस्मत बुलंद है मेरी
बारी है पत्थरो के पिघलने की
सहनशक्ति ताकत है मेरी
सहना मेरी मज़बूरी नहीं

हार जीत में बदल दूंगी
इरादे नेक है,रास्ते अनेक है
सफर किया तेरे साथ जितना
सफर तय कर सकती हूँ
सपनो की मंज़िल का
सहनशक्ति ताकत है मेरी
सहना मेरी मज़बूरी नहीं

संस्कार की बलिवेदी तुझे प्रणाम
बांधने लगी जब ज़ंज़ीरे
जकड़ने लगी जब तकदीरे
उन्मुक्त गगन से पता पूछा
एक नयी मंज़िल का
बांहे पसार तैयार हूँ उड़ने को
सहनशक्ति ताकत है मेरी
सहना मेरी मज़बूरी नहीं