शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

दर्द विसर्जन

ganga laha le
Pic Courtsey:Google
खुद में ना पाल हलाहल इतना 
रगों में ना दौड़ा ज़हर इतना 
कुछ देर बैठ, मुझसे बात कर 
सुना क्यों सुर्ख है अक्स मेरा 
आईने में आज इतना 

ना विष रख, ना विष की यादें 
बहा दे अश्रुओं में भीतर भरा ज़हर सारा 
मिटा दे विस्मृति, स्मृति पटल से 
खोल दे मन के सारे ताले
कर दे  दर्द विसर्जित, गंगा नहा ले 

2 टिप्‍पणियां: