मंगलवार, 21 मार्च 2017

राम बसे मेरे अंतस में

Ram se bada na koi,Lord Shri Ram














जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे

नैन थके पर वो ना दिखे
दीप जलाये, गीत सुनाये
हर पथ पर एक आस जगाये
सागर से मोती चुन लाए
अम्बर से तारे चुन लाए
फिर भी क्यों ना मेरे राम मिले
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे

मंदिर छाने महल भी छाने
वन उपवन और ताल भी छाने
मन मंदिर में लगा के ताले
ढूंढ रही मैं  राम को
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे

उजियारे की किरण दिखी
अंधकार में ज्योत जगी
जिनको ढूंढा घर घर में
राम तो मेरे मन में बसे
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे

जहाँ राम बसे वहाँ छल ना बसे
निर्मल मन में अमिट छवि बसे
छोड़ दिए सारे लोभ और मोह
पहचान लिया मैंने राम को
जिस घर में मेरे राम बसे
उस घर में मेरे प्राण बसे

9 टिप्‍पणियां:

  1. साथॆक प्रस्तुतिकरण......
    मेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया आपंको पोस्ट पसंद आई..आशा है इन पर आपके विचार आगे भी जानने को मिलेंगे

      हटाएं
  2. True heart is the house of Lord Rama...Your blog is superb and i loved all the writings

    जवाब देंहटाएं
  3. Jai shri Ram...राम एक सोच है संस्कार है सिर्फ धर्म के नज़रिये से ही चीज़े क्यों देखी जाये

    जवाब देंहटाएं
  4. sach hai bhagwan man mein baste hai hai aur hum unko bus wahi nahi dhundhate

    जवाब देंहटाएं