शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

देखो कोई चुपचाप तो नहीं आस-पास

vo aaj kal chupchap bahut rahta hai,childhood in pain








वो आजकल चुपचाप बहुत रहता है 
सड़क पर पत्थरों से खेला करता है
ट्रैफिक में गुम,हॉर्न से बेपरवाह चला जाता है 
बाहरी चोट से बेपरवाह ,भीतर के दर्द में जिए जाता है 
जो मैंने देखा उसे पास से गुज़रता इंसान क्यों नहीं देख पाता 

वो आजकल चुप बहुत रहता है 
मैदान में उसके दोस्त खुलकर हँसते है 
एक वही किसी कोने में गुमसुम नज़र आता है 
अनेक खिलखिलाहटों में एक उदास चेहरा क्यों छुप जाता है 
मेरी नज़रो ने जो चुप्पी समझी है 
वो दोस्त क्यों नहीं समझ पाते

वो आजकल चुपचाप बहुत रहता है
क्लासरूम में टीचर की आहट से सहम जाता है 
ब्लैकबोर्ड पर फैला उजाला जीवन का अँधेरा कम नहीं कर पाता है 
ख़ामोशी के जाल में फंसा मासूम बहुत घबराता है 
जो मैंने देखा उसे स्कूल का कोई सदस्य क्यों नहीं देख पाता है 

वो आजकल चुपचाप बहुत रहता है 
घर के कमरे में बंद खुद से भी नज़र चुराता है
आईने में खुद अपना अक्स देखकर घबराता है 
खाने की मेज़ पर खाने से रूठा नज़र आता है 
मेरी नज़रो ने जो दर्द समझा
वो माँ -पापा क्यों नहीं समझ पाते है 

वो आजकल चुपचाप बहुत रहता है 
जो बीती उसे खुद में समाये रखना चाहता है 
हिम्मत की जगह कायरता को क्यों चुनता है 
जो हँसता था पेट पकड़कर छोटी छोटी बातो पर 
आज निराश है हताश है चुपचाप है 
वो खुद ये क्यों नहीं समझ पाता है 



9 टिप्‍पणियां:

  1. Rameez jaise log har konse main mil jayege..baccho ka dhyan rakhna bahut zaruri hai

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  2. Kids safety is very very important.this is a very nice write up

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  3. Why cant we save kids from the bad world ...why are we too careless..thanks for reminding us childhood should be protected

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  4. Impressed by your writing Manjula ji

    thank you for making us aware

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