शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

ज़िन्दगी से दूर ज़िन्दगी की ओर

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ज़िन्दगी से दूर  ज़िन्दगी की ओर


और कितनी दूर चलना है अभी..हर कदम पर सांस उखड़ती है जीने की उमंग नहीं बाक़ी ..दर्द घुटनो से ज्यादा कुछ नहीं मिल पाने का है ...मलाल बेटे का भविष्य ना बन पाने का है ..उसकी गृहस्थी ना बस पाने का है ..ख्वाहिशे हज़ार थी जिंदगी से... उधार लेकर जोड़ा भी बहुत कुछ था अब खर्च करने का वक्त लगभग ख़त्म हो गया है पर वो वजह अभी हासिल नहीं हुई..क्यों वास्तविकता जानते हुए भी अपनों के समझाते हुए भी हम ये नहीं समझते पूत कपूत तो क्यों धन संचय पूत सपूत तो क्यों धन संचय ...बेटे का मोह भारत में महिलाओ के अंतस में बसा  है हर कदम पर सबसे बचाते हुए जिस बेटे को वो अपने आँचल में सुरक्षित रखना चाहती है वो कब माँ के साथ आँख मिचोली खेलते हुए ओझल हो जाता है बेचारी माँ समझ ही नहीं पाती..बेटा बड़ा हो गया! उम्र से बड़े दोस्त उसे माँ के सपनो में सजाई दुनिया से दूर ले गए नए शौक नए रंग नया माहौल असर छोड़ गया ..बचपन से सीचें संस्कारो को ये सिगरेट का धुंआ निग़ल गया..

जवान होते पौधे को कीड़ा लग रहा था और माँ तब भी खामोश थी चिंतित थी पर सोचती थी बेटा बड़ा हो गया है अपने बेटे पर ज़रूरत से ज्यादा भरोसा किया और खुद को कई बार परिवार में रुसवा किया पर बेटे का साथ नहीं छोड़ा ..परिवार के दायरे से शिकायते निकलकर मोहल्ले में बढ़ने लगी ...पडोसी की जासूसी खटकती तो है पर बड़े काम की होती है ..इसमें जलन से ज्यादा हित छुपा होता है ये वक्त निकलने पर पता चलता है! पापा बेटे को कंप्यूटर इंजीनियर बनाना चाहते थे तो फीस भरने के लिए खुद को परिवार से दूर कर लिया जो ट्रांसफर वो ज़िम्मेदारियों को निभाने के चलते नहीं लेना चाहते थे उसे बेटे के भविष्य के लिए स्वीकार कर लिया! लाखो की फीस पर पानी फेर कर पिता के क्रोध से बचता बेटा छुप गया एक बार फिर माँ के आँचल में..इस आँचल के सुरक्षा कवच से तो यमराज भी हार मान लेते है पिता ने लाख समझाया माँ ने एक न सुनी! बेटे का भरोसा बढ़ता गया..कामचोरी आलस के साथ इस आँचल में छिप जाना आसान है   यही से भविष्य की सीढियो ने पर्वत की ऊंचाई नहीं लाडले का कुँए में गिरने का रास्ता पक्का कर दिया..हालात बिगड़े  माँ उम्र के आखिरी पायदान पर है बीते वक्त को कोसती है अपने प्यार पर लानत भेजती है और अपने लिए ज़िन्दगी नहीं मौत की दुआए मांगती है उसका बेटा अब ना घर मिलने आता है ना माँ के आँचल में दुनिया से बचने के लिए जगह ढूंढता है...कहाँ है उसका लाड़ला जिसे एक नज़र देखने के लिए माँ अब भी एक और ज़िन्दगी जीना चाहती है पर इस बार दिल में प्यार और हाथ में डंडा रखना चाहती है सिर्फ लाडले के सुखद भविष्य के लिए..

14 टिप्‍पणियां:

  1. Biggest fact of Mom Son relationship in India..Very nice

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  2. वाह क्या बात है अगले संस्करण का इंतज़ार रहेगा

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  3. sach kaha Manjulaji Indian Mothers are like that only

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  4. mam next story pls jaldi jaldi jaldi jaldi...m waiting

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  5. kahani bahut acchi hai..maa ka pyar bacche ke liye kitna zarui hai hum jante hai par iski had uska bhavishya tay karti hai

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  6. Maa aisi hi hoti hai par ab hath mein dnda zaruri hai bete ke bright future ke liye...great learning for all

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  7. माँ बच्चे का रिश्ता ऐसा हो तो आने वाले नस्ल प्रगतिशील भारत का सपना ज़रूर पूरा करेगी

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  8. कहानी शिक्षाप्रद है ...माँ बेटे का रिश्ता ऐसा ही होता है ..

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