सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

"मैं"

"मैं" का जगत बहुत ही छोटा
अक्षर ज्ञान जितना भी हो
इंसान असफल ही होता है
"मैं" की शक्ति कितनी भी हो
"मैं"  की भक्ति कितनी भी हो
इंसान अकेला होता है
"मैं"  ने मारा रावण को
पर मैंने नही मारा मन के "मैं"  को
अब पल पल मैं ही मरता हूं
भीड़ भरे मेले मे मैं बस खुद से बातें करता हूं

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... बहुत खूब कहा...👌👌

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  2. aaj har aadmi main mein busy hai kisi aur ki yaha kisi ko fikra nahi hai...aur aakhir mein vo akela hi rah jata hai..sangi sathi sub paise aur acche dino ke sathi hai

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  3. mujhe akela nahi rahna hai...hum hi thik hai jeevan mein thank you for the lesson Manjulaji...Aapki writing prernasrot hai...Likhte rahiye margdarshan karte rahiye

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  4. aapki har rachna jeevan mein kuch shiksha deti hai aur ye racha sabse behtreen teaching deti hai thank you

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  5. बढ़ते कम्पटीशन के दौर में दुनिया भूलती जा रही है जीवन मैं में नहीं हम में है

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  6. बढ़ते कम्पटीशन के दौर में दुनिया भूलती जा रही है जीवन मैं में नहीं हम में है

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  7. घमंड के साथ जीने वाले का सिर नीचा

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  8. बड़े बड़ो को मैं ने मार डाला पर फिर भी घमंड है की मरता नहीं ...

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  9. Ahankar ka ant bura hota hai..jaise Ravan ka hua...pura vansh khatm ho gaya ..

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